थायरॉयड क्या है? कारण, लक्षण और घरेलू उपचार| पूरी जानकारी
थायरॉइड ग्रंथि क्या है?
थायरॉइड की समस्याएं:
- हाइपोथायरायडिज्म
(Hypothyroidism): जब
थायरॉइड ग्रंथि कम हार्मोन बनाती है, तो शरीर
की ऊर्जा कम हो जाती है। लक्षण: थकान, वजन
बढ़ना, ठंड सहन न कर पाना, सूखी
त्वचा आदि।
- हाइपरथायरायडिज्म
(Hyperthyroidism): जब
थायरॉइड ग्रंथि जरूरत से ज्यादा हार्मोन बनाती है। लक्षण: वजन कम होना, घबराहट, अत्यधिक
पसीना आना, दिल की धड़कन तेज होना
आदि।
- गॉइटर (Goiter): थायरॉइड
ग्रंथि का असामान्य रूप से बढ़ जाना।
- थायरॉइड
नोड्यूल (Thyroid Nodules): ग्रंथि
में गांठें बनना, जो कैंसर रहित या
कैंसरयुक्त हो सकती हैं।
हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism) एक ऐसी
स्थिति है जिसमें थायरॉइड ग्रंथि पर्याप्त मात्रा में थायरॉइड
हार्मोन (T3 और T4) का उत्पादन
नहीं कर पाती। यह हार्मोन शरीर के मेटाबोलिज्म, ऊर्जा स्तर, हृदय गति और
पाचन क्रिया को नियंत्रित करता है। जब इन हार्मोनों की कमी होती
है, तो शरीर की सभी प्रक्रियाएं
धीमी हो जाती हैं, जिससे थकान, वजन बढ़ना और
अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण (Hypothyroidism
Symptoms)
हाइपोथायरायडिज्म तब होता है जब थायरॉइड ग्रंथि पर्याप्त मात्रा में हार्मोन
नहीं बना पाती है। इससे शरीर का मेटाबोलिज्म धीमा हो जाता है, जिससे कई
लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं।
मुख्य लक्षण:
- थकान और
कमजोरी – दिनभर सुस्ती और ऊर्जा की
कमी महसूस होना।
- वजन
बढ़ना – बिना किसी कारण के वजन
बढ़ना या वजन कम न हो पाना।
- ठंड सहन
न कर पाना – हल्की ठंड में भी ज्यादा
ठंड लगना।
- सूखी और
रूखी त्वचा – त्वचा का बेजान और खुरदुरा
हो जाना।
- बालों
का झड़ना – अत्यधिक बाल झड़ना और पतले
बाल हो जाना।
- डिप्रेशन
और चिड़चिड़ापन – मूड स्विंग, डिप्रेशन
और मानसिक थकान।
- कब्ज (Constipation) – पाचन
तंत्र धीमा होने के कारण कब्ज की समस्या।
- चेहरा
सूजा हुआ दिखना – चेहरे पर सूजन आना, खासकर
आंखों के आसपास।
- आवाज
भारी होना – बोलने में भारीपन या कर्कश
आवाज।
- दिल की
धड़कन धीमी होना – ब्रैडीकार्डिया (कम हार्ट
रेट) हो सकता है।
- हाथ-पैरों
में झुनझुनी – सुन्न महसूस होना या
झनझनाहट।
- मांसपेशियों
में कमजोरी और ऐंठन – खासकर
पैरों और बाजुओं में दर्द।
- हाथ-पैर
ठंडे रहना – शरीर का तापमान कम हो
जाना।
- भूलने
की समस्या (Brain Fog) – ध्यान
केंद्रित करने में कठिनाई और भूलने की आदत।
- अनियमित
पीरियड्स – महिलाओं में मासिक धर्म
ज्यादा या अनियमित होना।
- गले में
भारीपन महसूस होना – थायरॉइड
ग्रंथि में सूजन के कारण
🔹 हाइपोथायरायडिज्म के मुख्य कारण (Causes of Hypothyroidism)
हाशिमोटो थायरॉयडिटिस (Hashimoto’s
Thyroiditis)
यह एक ऑटोइम्यून
बीमारी है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से थायरॉइड ग्रंथि पर हमला कर देती है, जिससे यह ठीक
से काम नहीं कर पाती।
आयोडीन की
कमी (Iodine Deficiency)
आयोडीन की कमी थायरॉइड हार्मोन
के निर्माण में बाधा डालती है, जिससे हाइपोथायरायडिज्म हो सकता
है।
थायरॉइड
ग्रंथि का सर्जिकल हटाना (Thyroidectomy)
यदि किसी व्यक्ति की थायरॉइड ग्रंथि को सर्जरी
द्वारा हटा दिया गया है, तो शरीर में हार्मोन की कमी हो
जाती है।
रेडियोएक्टिव आयोडीन थेरेपी (RAI Therapy)
यह थेरेपी हाइपरथायरायडिज्म के इलाज के लिए दी जाती है, लेकिन
कभी-कभी यह थायरॉइड ग्रंथि को ज्यादा प्रभावित कर देती है, जिससे
हाइपोथायरायडिज्म हो सकता है।
जन्मजात हाइपोथायरायडिज्म (Congenital
Hypothyroidism)
कुछ बच्चों में जन्म से ही
थायरॉइड ग्रंथि सही से विकसित नहीं होती, जिससे उन्हें
हाइपोथायरायडिज्म हो सकता है।
दवाओं का प्रभाव (Side Effects
of Medications)
कुछ दवाएं, जैसे लिथियम (मूड डिसऑर्डर
की दवा) और एमियोडैरोन (हृदय रोग की
दवा), थायरॉइड के कार्य को प्रभावित
कर सकती हैं।
🔹 हाइपोथायरायडिज्म
का निदान (Diagnosis of Hypothyroidism)
✅ थायरॉइड फंक्शन टेस्ट (Thyroid
Function Test)
🔹 TSH (Thyroid Stimulating Hormone) – यदि इसका
स्तर बढ़ा हुआ है, तो यह हाइपोथायरायडिज्म का
संकेत हो सकता है।
🔹 T3 (Triiodothyronine) और T4
(Thyroxine) – ये हार्मोन कम होने पर
हाइपोथायरायडिज्म की पुष्टि होती है।
✅ एंटीबॉडी टेस्ट (Anti-TPO
Test)
अगर हाशिमोटो थायरॉयडिटिस का संदेह हो, तो यह टेस्ट
किया जाता है।
✅ अल्ट्रासाउंड
(Thyroid Ultrasound)
हाइपोथायरायडिज्म का उपचार (Medical Treatment of Hypothyroidism )
हाइपोथायरायडिज्म का मुख्य कारण थायरॉइड हार्मोन की कमी होती है। इसका उपचार
हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी द्वारा किया जाता है।
1. थायरॉइड
हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (Thyroid Hormone Replacement
Therapy)
- लेवोथायरॉक्सिन
(Rx Levothyroxine) – यह सबसे
आम दवा है, जो कृत्रिम रूप से T4 (थायरॉक्सिन) हार्मोन प्रदान करती है।
- यह शरीर
में T3 (ट्राईआयोडोथायरोनिन) में
बदल जाती है और प्राकृतिक थायरॉइड हार्मोन की तरह काम करती है।
- यह दवा
रोज सुबह खाली पेट पानी के साथ लेनी चाहिए।
2. दवा की सही
खुराक कैसे तय होती है?
- डॉक्टर
आपके TSH, T3 और T4 के स्तर
की जांच करके सही खुराक निर्धारित करते हैं।
- आमतौर
पर शुरुआत में कम खुराक दी जाती है और कुछ हफ्तों बाद ब्लड टेस्ट के आधार पर
इसे एडजस्ट किया जाता है।
- दवा
जीवनभर लेनी पड़ सकती है, लेकिन
कुछ मामलों में नियमित जांच के बाद खुराक कम की जा सकती है।
3. उपचार के
दौरान ध्यान देने योग्य बातें
✅ दवा को
नियमित रूप से लें – इसे बिना डॉक्टर की सलाह के बंद
न करें।
✅ भोजन और दवा
का अंतर रखें – दवा लेने के 30-60 मिनट बाद ही
भोजन करें, खासकर कैल्शियम और आयरन युक्त
खाद्य पदार्थों से बचें।
✅ अन्य दवाओं
से परहेज करें – एंटासिड, आयरन
सप्लीमेंट, सोया उत्पाद और कुछ अन्य दवाएं
थायरॉइड हार्मोन के अवशोषण को प्रभावित कर सकती हैं।
✅ नियमित जांच
करवाएं – हर 3-6 महीने में TSH टेस्ट कराएं
ताकि दवा की सही खुराक तय की जा सके।
4. गंभीर मामलों
में अन्य उपचार
- थायरॉइड
सर्जरी: यदि थायरॉइड ग्रंथि बहुत
अधिक क्षतिग्रस्त हो गई हो या गॉइटर बढ़ गया हो, तो
सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।
- अन्य
हार्मोन थेरेपी: कुछ
मामलों में, केवल T4 पर्याप्त
नहीं होता, तो डॉक्टर T3 सप्लीमेंट
भी दे सकते हैं।
हाइपोथायरायडिज्म में क्या खाएं
और क्या न खाएं?
(Diet for Hypothyroidism)
हाइपोथायरायडिज्म में सही खानपान बहुत जरूरी होता है। संतुलित आहार थायरॉइड
हार्मोन को नियंत्रित करने में मदद करता है और शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।
✅ हाइपोथायरायडिज्म में क्या खाना चाहिए?
1. आयोडीन युक्त
भोजन
आयोडीन थायरॉइड हार्मोन (T3 और T4) के उत्पादन
में मदद करता है।
🔹 आयोडीन युक्त नमक
🔹 दूध और डेयरी उत्पाद (दूध, दही, पनीर)
🔹 समुद्री मछली (सामन, टूना, झींगा)
🔹 अंडे (अंडे की जर्दी में आयोडीन और
सेलेनियम होता है)
2. सेलेनियम
युक्त भोजन
सेलेनियम थायरॉइड ग्रंथि को सक्रिय रखता है और एंटीऑक्सीडेंट
की तरह काम करता है।
🔹 अखरोट (Brazil Nuts)
🔹 मशरूम
🔹 अंडे
🔹 सूरजमुखी और चिया के बीज
🔹 टूना और सार्डिन मछली
3. जिंक युक्त आहार
जिंक थायरॉइड हार्मोन उत्पादन में मदद करता है।
🔹 कद्दू के बीज
🔹 चने और दालें
🔹 बादाम और काजू
🔹 मूंगफली
4. विटामिन B और D युक्त आहार
- विटामिन
B12 – ऊर्जा
बढ़ाता है और थकान कम करता है।
🔹 दूध, दही, अंडे, मछली - विटामिन
D – हड्डियों
को मजबूत बनाता है और इम्यूनिटी बढ़ाता है।
🔹 धूप सेंकें, दूध, मशरूम, मछली
5. फाइबर युक्त
भोजन
हाइपोथायरायडिज्म में कब्ज की
समस्या आम होती है, इसलिए फाइबर
का सेवन फायदेमंद होता है।
🔹 हरी सब्जियां – पालक, मेथी, ब्रोकली, शिमला मिर्च
🔹 फल – सेब, संतरा, पपीता, नाशपाती
🔹 ओट्स, ब्राउन राइस, साबुत अनाज
❌ हाइपोथायरायडिज्म में क्या नहीं
खाना चाहिए?
1. सोया उत्पाद
से बचें
सोया थायरॉइड हार्मोन के अवशोषण को बाधित कर सकता है।
🚫 सोया मिल्क, टोफू, सोया चंक्स, सोया सॉस
2. गोइट्रोजन
युक्त सब्जियों से बचें
कुछ सब्जियां थायरॉइड ग्रंथि को प्रभावित कर
सकती हैं, खासकर जब कच्ची खाई जाएं।
🚫 पत्ता गोभी, फूल गोभी, ब्रोकली, सरसों, शलजम, मूली
(इन सब्जियों को पकाकर खाना सुरक्षित हो सकता है)
3. अधिक शर्करा
(Sugar) और प्रोसेस्ड फूड से बचें
🚫 सोडा, मिठाई, केक, कुकीज़, जंक फूड – ये वजन
बढ़ाने और मेटाबोलिज्म को धीमा करने का कारण बन सकते हैं।
4. कैफीन और
एल्कोहल कम करें
🚫 कॉफी, चाय, शराब और
सॉफ्ट ड्रिंक्स – ये थायरॉइड की समस्या को बढ़ा
सकते हैं।
💡 लाइफस्टाइल
टिप्स
✔️ रोजाना 30-40 मिनट व्यायाम करें (योग, वॉकिंग, मेडिटेशन)
✔️ पर्याप्त नींद लें (7-8 घंटे)
✔️ रोजाना धूप लें ताकि विटामिन D की कमी न हो
हाइपरथायरायडिज्म (Hyperthyroidism) एक ऐसी
स्थिति है जिसमें थायरॉइड ग्रंथि जरूरत से ज्यादा थायरॉइड
हार्मोन (T3 और T4) का उत्पादन
करने लगती है। यह शरीर के मेटाबोलिज्म
(चयापचय) को तेज कर देता है, जिससे वजन तेजी से घटने, दिल की धड़कन
तेज होने, घबराहट और अधिक पसीना आने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
हाइपरथायरायडिज्म के लक्षण (Hyperthyroidism
Symptoms)
हाइपरथायरायडिज्म तब होता है जब थायरॉइड ग्रंथि जरूरत से ज्यादा हार्मोन (T3 और T4) का उत्पादन
करने लगती है। इससे शरीर का मेटाबोलिज्म तेज हो जाता है, जिससे कई
स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
मुख्य लक्षण:
- अचानक
वजन कम होना – बिना डाइटिंग या एक्सरसाइज
के तेजी से वजन घटना।
- तेज
धड़कन (Palpitations) – दिल की
धड़कन तेज या अनियमित होना।
- अत्यधिक
पसीना आना – बिना किसी कारण बहुत
ज्यादा पसीना आना।
- घबराहट
और बेचैनी – बिना वजह घबराहट, तनाव या
चिड़चिड़ापन महसूस होना।
- हाथों
में कंपकंपी (Tremors) – खासकर
हाथ और उंगलियों में हल्की कंपन।
- नींद न
आना (Insomnia) – अच्छी
नींद न आना या नींद में बार-बार उठना।
- थकान और
कमजोरी – मांसपेशियों में कमजोरी
महसूस होना, खासकर पैरों में।
- आंखों
की समस्या (Bulging Eyes) – आंखें
बाहर की ओर निकलती हुई दिखना (ग्रेव्स डिजीज में)।
- गर्मी
सहन न कर पाना – हल्की गर्मी में भी ज्यादा
गर्मी महसूस होना।
- बालों
का झड़ना – बाल पतले होना और झड़ना।
- अत्यधिक
भूख लगना – बार-बार और ज्यादा खाने की
इच्छा होना।
- त्वचा
में बदलाव – लालिमा, खुजली
या त्वचा पतली हो जाना।
- गले में
सूजन (Goiter) – थायरॉइड
ग्रंथि का बढ़ जाना जिससे गर्दन में सूजन हो सकती है।
- डायरिया
या पेट खराब रहना – पाचन तंत्र ज्यादा सक्रिय
होने के कारण बार-बार पेट खराब होना।
- मासिक
धर्म में अनियमितता – महिलाओं
में पीरियड्स का देरी से आना या हल्का होना।
🔹 हाइपरथायरायडिज्म
के कारण (Causes of Hyperthyroidism)
1. ग्रेव्स
डिजीज (Graves' Disease)
👉 यह सबसे आम कारण है और एक ऑटोइम्यून
बीमारी है। इसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से थायरॉइड ग्रंथि को अधिक हार्मोन
बनाने के लिए उत्तेजित कर देती है।
2. थायरॉइड
नोड्यूल्स (Thyroid Nodules)
👉 थायरॉइड ग्रंथि में एक या अधिक
गांठ (नोड्यूल्स) बनने लगते हैं, जो थायरॉइड
हार्मोन का अधिक उत्पादन कर सकते हैं।
3. थायरॉयडिटिस
(Thyroiditis - थायरॉइड की
सूजन)
👉 किसी वायरल
संक्रमण या ऑटोइम्यून बीमारी के कारण थायरॉइड
ग्रंथि में सूजन आ सकती है, जिससे यह अधिक हार्मोन
छोड़ सकती है।
4. अधिक आयोडीन
का सेवन (Excess Iodine Intake)
👉 यदि व्यक्ति अधिक मात्रा में आयोडीन युक्त भोजन, दवाएं या
सप्लीमेंट लेता है, तो इससे
थायरॉइड ग्रंथि ज्यादा हार्मोन बना सकती है।
5. अधिक थायरॉइड
दवा लेना
👉 यदि किसी को हाइपोथायरायडिज्म (थायरॉइड की
कमी) है और वह अधिक मात्रा में थायरॉइड की दवा (Rx Levothyroxine)
लेता है, तो यह हाइपरथायरायडिज्म का कारण
बन सकता है।
🔹 हाइपरथायरायडिज्म
का निदान (Diagnosis of Hyperthyroidism)
✅ थायरॉइड
फंक्शन टेस्ट (Thyroid Function Test)
🔹 TSH (Thyroid Stimulating Hormone) का स्तर कम
होगा
🔹 T3 (Triiodothyronine) और T4
(Thyroxine) का स्तर बढ़ा हुआ होगा
✅ रेडियोएक्टिव
आयोडीन अपटेक टेस्ट (RAIU Test)
🔹 यह जांच करता है कि थायरॉइड ग्रंथि कितनी मात्रा
में आयोडीन अवशोषित कर रही है।
✅ थायरॉइड
स्कैन (Thyroid Scan)
🔹 यह जांच करता है कि थायरॉइड ग्रंथि में गांठ या
सूजन तो नहीं है।
✅ एंटीबॉडी
टेस्ट (Anti-TSH Receptor Antibody Test)
🔹 यदि ग्रेव्स डिजीज का संदेह हो, तो यह टेस्ट
किया जाता है।
हाइपरथायरायडिज्म का चिकित्सा
उपचार (Medical Treatment of Hyperthyroidism)
हाइपरथायरायडिज्म तब होता है जब थायरॉइड ग्रंथि अधिक मात्रा में T3 (ट्राईआयोडोथायरोनिन)
और T4 (थायरॉक्सिन) हार्मोन का उत्पादन
करने लगती है। इस स्थिति का इलाज हार्मोन के उत्पादन को नियंत्रित करने, लक्षणों को
कम करने और जटिलताओं से बचाव के लिए किया जाता है।
1. एंटी-थायरॉइड
दवाएं (Anti-Thyroid Medications)
ये दवाएं थायरॉइड हार्मोन के उत्पादन को धीमा करने में मदद करती हैं।
मुख्य दवाएं:
✅ मिथिमाजोल (Rx Methimazole
- MMI) – यह सबसे ज्यादा उपयोग की जाने
वाली दवा है, जो थायरॉइड हार्मोन के उत्पादन
को कम करती है।
✅ प्रोपाइलथियोयूरासिल
(Rx Propylthiouracil - PTU) – यह विशेष रूप
से गर्भवती महिलाओं और गंभीर हाइपरथायरायडिज्म के मामलों में दी जाती है।
📌 सावधानियां:
- इन
दवाओं को डॉक्टर की सलाह के अनुसार लें क्योंकि ये लीवर पर प्रभाव डाल सकती
हैं।
- दवा
शुरू करने के बाद लक्षणों में सुधार होने में 4-6 हफ्ते
लग सकते हैं।
- कुछ
मामलों में दवा को लंबे समय तक लेना पड़ सकता है।
2. बीटा-ब्लॉकर्स
(Beta-Blockers) – लक्षणों को
कम करने के लिए
हाइपरथायरायडिज्म के कारण होने वाली घबराहट, तेज धड़कन और
कंपन को नियंत्रित करने के लिए बीटा-ब्लॉकर दवाएं दी जाती हैं।
मुख्य दवाएं:
✅ प्रोप्रेनोलोल
(Rx Propranolol)
✅ एटेनोलोल (Rx Atenolol)
📌 ये दवाएं थायरॉइड हार्मोन को कम
नहीं करतीं, बल्कि सिर्फ लक्षणों से राहत
दिलाती हैं।
3. रेडियोएक्टिव
आयोडीन थेरेपी (Radioactive Iodine Therapy - RAI)
यह हाइपरथायरायडिज्म का स्थायी इलाज माना जाता है। इस थेरेपी में रेडियोएक्टिव
आयोडीन दिया जाता है, जो अत्यधिक
सक्रिय थायरॉइड कोशिकाओं को नष्ट कर देता है।
📌 कब इस्तेमाल किया जाता है?
- जब
दवाएं असर नहीं कर रही हों।
- जब
बार-बार हाइपरथायरायडिज्म की समस्या हो रही हो।
📌 ध्यान रखने योग्य बातें:
- इसके
बाद कुछ मरीजों में हाइपोथायरायडिज्म (थायरॉइड
हार्मोन की कमी) हो सकता है, जिसके
लिए लेवोथायरॉक्सिन (Levothyroxine) दवा दी
जाती है।
- गर्भवती
महिलाओं के लिए यह थेरेपी सुरक्षित नहीं होती।
4. थायरॉइड
सर्जरी (Thyroidectomy)
जब दवाएं और रेडियोएक्टिव आयोडीन थेरेपी कारगर नहीं होतीं या थायरॉइड ग्रंथि
बहुत ज्यादा बढ़ गई हो (गॉइटर), तब सर्जरी
द्वारा थायरॉइड ग्रंथि का कुछ हिस्सा या पूरा हिस्सा हटा दिया जाता है।
📌 कब किया जाता है?
✅ बहुत बड़ा
गॉइटर हो जिससे सांस लेने में परेशानी हो।
✅ थायरॉइड
कैंसर की आशंका हो।
✅ दवाओं से
एलर्जी या साइड इफेक्ट्स हों।
📌 सर्जरी के बाद:
- कई
मामलों में मरीज को हाइपोथायरायडिज्म हो सकता है, जिसके
लिए आजीवन लेवोथायरॉक्सिन दवा लेनी पड़ सकती है।
हाइपरथायरायडिज्म में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं?
(Diet for Hyperthyroidism in Hindi)
हाइपरथायरायडिज्म में शरीर की चयापचय दर (Metabolism) बहुत तेज हो
जाती है, जिससे वजन कम होने, घबराहट, अधिक पसीना
आने और अन्य समस्याएं हो सकती हैं। सही खानपान इस स्थिति को नियंत्रित करने में
मदद करता है।
✅ हाइपरथायरायडिज्म में क्या खाना
चाहिए?
1. कम आयोडीन
वाला भोजन (Low-Iodine Foods)
आयोडीन की अधिक मात्रा थायरॉइड हार्मोन के उत्पादन को बढ़ा सकती है, इसलिए कम
आयोडीन वाला भोजन फायदेमंद होता है।
🔹 गैर-आयोडीन युक्त नमक
🔹 ताजे फल और सब्जियां
🔹 नट्स और बीज (बादाम, अखरोट, कद्दू के
बीज)
🔹 साबुत अनाज (ब्राउन राइस, ओट्स, क्विनोआ)
2. कैल्शियम और
विटामिन D युक्त भोजन
हाइपरथायरायडिज्म हड्डियों को कमजोर कर सकता है, इसलिए
कैल्शियम और विटामिन D का सेवन जरूरी है।
🔹 दूध और डेयरी उत्पाद (दही, पनीर, चीज़)
🔹 हरी पत्तेदार सब्जियां (पालक, मेथी, बथुआ, ब्रोकली)
🔹 मशरूम, सोया मिल्क, संतरा
🔹 धूप सेंकें (विटामिन D के लिए)
3. प्रोटीन
युक्त आहार
हाइपरथायरायडिज्म के कारण मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं, इसलिए
प्रोटीन से भरपूर भोजन लें।
🔹 अंडे
🔹 मछली और चिकन (यदि आप नॉनवेज खाते हैं)
🔹 दालें और बीन्स (राजमा, चना, मूंग, मसूर दाल)
🔹 मेवे (बादाम, अखरोट, काजू)
4. एंटीऑक्सीडेंट
और फाइबर युक्त भोजन
यह थायरॉइड को नियंत्रित करने और पाचन को सही रखने में मदद करता है।
🔹 फल (सेब, संतरा, पपीता, केला, बेरीज़)
🔹 हरी सब्जियां (गाजर, शिमला मिर्च, लौकी, तोरी)
🔹 चिया और अलसी के बीज
❌ हाइपरथायरायडिज्म में क्या नहीं
खाना चाहिए?
1. आयोडीन युक्त
भोजन से बचें
🚫 आयोडीन युक्त नमक
🚫 समुद्री भोजन (मछली, झींगा, समुद्री घास, केलप)
🚫 आयोडीन युक्त सप्लीमेंट और दवाएं
2. कैफीन और
अल्कोहल से बचें
कैफीन और अल्कोहल से घबराहट और धड़कन बढ़ सकती है।
🚫 चाय, कॉफी, सोडा और
एनर्जी ड्रिंक्स
🚫 शराब और सिगरेट
3. प्रोसेस्ड और
तले-भुने खाद्य पदार्थ
ये शरीर में सूजन बढ़ा सकते हैं और हार्मोनल असंतुलन पैदा कर सकते हैं।
🚫 फास्ट फूड, जंक फूड
🚫 अत्यधिक मीठे पदार्थ (केक, पेस्ट्री, चॉकलेट)
4. गोइट्रोजन
युक्त कच्ची सब्जियों से बचें
कुछ सब्जियां थायरॉइड ग्रंथि की कार्यक्षमता
को प्रभावित कर सकती हैं, खासकर जब कच्ची खाई जाएं।
🚫 पत्ता गोभी, फूल गोभी, ब्रोकली, मूली, सरसों के
पत्ते, सोया उत्पाद
(अगर इन्हें पकाकर खाया जाए तो नुकसान कम होता है)
💡 लाइफस्टाइल
टिप्स
✔️ नियमित व्यायाम करें (योग, वॉकिंग, मेडिटेशन)
✔️ तनाव कम करें (ध्यान और
प्राणायाम करें)
✔️ पर्याप्त
नींद लें (7-8 घंटे)
✔️ भोजन को
संतुलित करें और डॉक्टर की सलाह के अनुसार खाएं
TSH (Thyroid-Stimulating Hormone) एक
महत्वपूर्ण हार्मोन है, जो पिट्यूटरी
ग्रंथि (Pituitary Gland) द्वारा
निर्मित किया जाता है। इसका मुख्य कार्य थायरॉइड
ग्रंथि को T3 (Triiodothyronine) और T4
(Thyroxine) हार्मोन बनाने के लिए उत्तेजित करना है। ये हार्मोन शरीर के
मेटाबोलिज्म, ऊर्जा उत्पादन, हृदय गति और
पाचन प्रणाली को नियंत्रित करते हैं।
🔹 TSH टेस्ट क्या
है? (What is TSH Test?)
👉 TSH टेस्ट एक ब्लड टेस्ट है, जिसका उपयोग
यह जांचने के लिए किया जाता है कि थायरॉइड
ग्रंथि सही ढंग से काम कर रही है या नहीं।
👉 इस टेस्ट से यह पता चलता है कि शरीर में थायरॉइड हार्मोन (T3 और T4) का स्तर
संतुलित है या नहीं।
👉 डॉक्टर के सलाह अनुसार मेडिसिन ले और समय समय पर
टेस्ट कराएं ।
👉 अन्य स्वास्थ्य समस्याओं की अधिक जानकारी के लिए पढ़ते रहें
– ApnaUpchar! 😊
Bahut aacha
जवाब देंहटाएं